बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी चतुर्थ प्रश्नपत्र - कथा-साहित्य
व्याख्या भाग
प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
(1)
"गजाधर बाबू चलने को तैयार बैठे थे। रेलवे क्वार्टर का वह कमरा, जिसमें उन्होंने कितने ही वर्ष बिताये थे? उनका समान हट जाने से कुरूप और नग्न लग रहा था। आंगन में रोपे पौधे पहचान के लोग ले गये थे, और जगह-जगह मिटटी बिखरी हुई थी। पर पत्नी, बाल-बच्चों के साथ रहने की कल्पना में यह विछोह एक दुर्बल लहर की तरह उठकर विलीन हो गया।
सन्दर्भ - प्रस्तुत गद्यांश यथार्थवादी कहानीकार ऊषा प्रियंवदा की प्रसिद्ध कहानी 'वापसी' से उद्धृत है।
प्रसंग - गजाधर बाबू पैंतीस साल की नौकरी के बाद रिटायर होकर अपने घर पर जा रहे थे, वह इतने वर्षों तक अकेले रहने के बाद घर जाने में उन्हें एक अजीब सी प्रसन्नता की अनुभूति हो रही थी।
व्याख्या - गजाधर बाबू अपने घर जाने में बहुत खुश थे वे बार-बार रेलवे क्वार्टर के कमरे को देख रहे थे, जहाँ पर उन्होंने जीवन के पैंतीस वर्षों को बिताया था। वहाँ से सभी समान के हट जाने से कमरा बहुत खाली-खाली लग रहा था, उसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वहाँ कुछ भी नहीं है। आँगन के पेड़-पौधे भी जान-पहचान के लोग ले गये थे। पेड़-पौधों के न होने से आँगन की मिट्टी फैली हुई थी, सब कुछ अस्त-व्यस्त था, लेकिन गजाधर बाबू को अपने परिवार से मिलने की खुशी थी इसलिए उन्हें उस समय वहाँ से बिछुड़ते हुए क्षणिक दुःख हुआ।
(2)
पत्नी का शिकायत भरा स्वर सुन उनके विचारों में व्याघात पहुँचा, वह कह रही थी, "सारा दिन इसी खिंच खिंच में निकल जाता है, इस गृहस्थी का धंधा पीटते-पीटते उमर बीत गयी। कोई जहाँ हाथ भी नहीं बटाता।'
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - गजाधर बाबू अपने घर आने के लिये बहुत अधिक प्रसन्न थे, उन्होंने घर की जैसी कल्पना की उसे उस तरह न पाकर बहुत दुःखी हुये।
व्याख्या - गजाधर बाबू घर आने से पहले तरह-तरह की कल्पनाएँ करने लगे थे, वे मधुर विस्मृत क्षणों को याद करते हैं परन्तु उनके घर आने पर सब कुछ विपरीत होता है, बेटे, बहू, बेटी, पत्नी सभी के व्यवहार से उनके हृदय को आघात पहुँचता है। पत्नी गजाधर से कहती है कि वह सारा दिन काम करती है कोई उसका हाथ नहीं बटाता। उसकी उम्र इसी घर गृहस्थी के बोझ में बीत गयी, उसे कभी सुख चैन नहीं मिला।
(3)
जैसे किसी मेहमान के लिए कुछ अस्थायी प्रबन्ध कर दिया जाता है, उसी प्रकार बैठक में कुर्सियों को दीवार से सटाकर बीच में गजाधर बाबू के लिए एक पतली सी चारपाई डाल दी गयी। गजाधर बाबू उस कमरे में पड़े-पड़े अनायास ही इस अस्थायित्व का अनुभव करने लगते।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - अपने घर में सेवानिवृत्ति के बाद प्राप्त संकुचित स्थान से गजाधर बाबू अपने को उपेक्षित समझते हैं। इस गद्यांश का यही भाव है।
व्याख्या - गजाधर बाबू वापसी कहानी के मुख्य पात्र हैं। वे जब नौकरी करके अपने घर रिटायर होकर आये तो उनके रहने के लिए उचित स्थान उनके ही घर में नहीं था। उन्हें कुछ दिन के लिए आये मेहमान की भाँति अपने ही घर में रहने के लिए विवश होना पड़ा। उनके ठहरने का स्थान बैठक ही बनाया गया। बैठक की कुर्सियों को दीवार के सहारे रख दिया गया और उसी के मध्य एक पतली सी खाट गजाधर बाबू के लिए बिछा दी गयी। गजाधर बाबू अपने ही घर में अपने को उपेक्षित अनुभव कर रहे थे। वे कमरे में पड़े पड़े यह विचार करने लगते हैं कि जहाँ मैं आकर अपना स्थायित्व ढूँढ रहा था वास्तव में मुझे ऐसा लग रहा है कि यह मेरा अस्थायी स्थान है। गजाधर बाबू की वापसी इसी अस्थायित्व की अनुभूति के कारण हुई है।
- (4)
"कह कर पत्नी ने आँखें मूंदी और सो गयी। गजाधर बैठे हुए पत्नी को देखते रह गये? क्या यही थी उनकी पत्नी? जिसके हाथों के कोमल स्पर्श, जिसकी मुस्कान की याद में उन्होंने सम्पूर्ण जीवन काट दिया था? उन्हें लगा कि वह लावण्यमयी युवती जीवन की राज में कहीं खो गयी और उसकी जगह आज जो स्त्री है, वह उसके मन और प्राणों के लिये नितान्त अपरचिता है। गाढ़ी नींद में डूबी उसकी पत्नी का भारी सा शरीर बहुत बेडोल और कुरूप लग रहा था, चेहरा श्रीहीन और रूखा था। गजाधर बाबू देर तक निसंग दृष्टि से पत्नी को देखते रहे और फिर लेटकर छत की तरफ ताकने लगे।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - गजाधर बाबू के प्रति परिवार के सभी सदस्यों का व्यवहार असंतोष जनक था परन्तु पत्नी के व्यवहार से उन्हें बहुत दुख पहुँचता है जो गजाधर से केवल शिकायत ही करती है और सभी कार्यों के लिए उसे ही दोषी ठहराती है। गजाधर अपने मन में सोचता है।
व्याख्या - वह कहता है कि क्या यह मेरी वह पत्नी है जिसके कोमल स्पर्श में, जिसकी मीठी हंसी में, अपना सम्पूर्ण जीवन बाहर रहकर काट दिया जो पहले उसके साथ दुःख, सुख की भागीदारी बनती थी, और उसके साथ सहानुभूति प्रकट करती थी। कठिन समय में सदैव साथ रहती थी। ये महसूस करते हैं कि ऐसी सौन्दर्यमयी युवती को उन्होंने कहीं खो दिया है और उसके सामने जो पत्नी है, वह उसके लिए अपरचित है। उसे ऐसा प्रतीत होता है जैसे उससे उसका कोई सम्बन्ध ही नहीं। सामने लेटी हुई अपनी पत्नी का शरीर उसे कुरूप भद्दा और कान्तिहीन लग रहा था, उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि यह औरत उसकी पत्नी है।
(5)
अचानक ही उन्होंने निश्चय कर लिया कि घर की किसी बात में दखल नहीं देंगे। यदि गृहस्वामी के लिए पूरे घर में एक चारपाई की जगह नहीं है, तो यहीं पड़े रहेंगे। अगर कहीं और डाल दी गई तो वहाँ चले जायेंगे। यदि बच्चों के जीवन में उनके लिए कहीं स्थान नहीं तो अपने घर पर ही परदेशी की तरह पड़े रहेंगे।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - बच्चों और पत्नी द्वारा तिरस्कृत गजाधर बाबू की मनःस्थिति का चित्रण इस गद्यांश में किया गया है।
व्याख्या बैठक से बच्चों और बहुओं द्वारा गजाधर बाबू की चारपाई उनकी पत्नी की कोठरी में डाल देने से आहत गजाधर बाबू ने अब यह मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह घर में होने वाली किसी भी अच्छी या खराब बात में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करेंगे। वे सोच रहे थे कि जब मैं स्वयं घर का मालिक होकर अपने ही घर में एक अदद चारपाई की जगह पाने का अधिकारी नहीं हूँ तो मेरा इस घर में अधिकार ही क्या है? वे अपने को समझाते हुए सोच रहे हैं कि अब उनकी चारपाई यदि यहाँ से (कोठरी) हटाकर और कहीं भी डाल दी जाती है तो वे वहाँ भी सहर्ष जाने को तैयार रहेंगे। वे कहते हैं कि यदि बच्चों के जीवन में उनके लिए कोई स्थान शेष नहीं रहा तो अब वे अपने स्वामित्व वाले घर में ही परदेशी की तरह का जीवन-यापन कर
(6)
"जिस व्यक्ति के अस्तित्व से पतनी माँग में सिंदूर डालने की अधिकारी है, समाज में उसकी प्रतिष्ठा है, उसके सामने वह दो वक्त भोजन की थाली रख देने से सारे कर्त्तव्यों से छुटटी पा जाती है। वह घी और चीनी के डिब्बों में इतनी रमी हुई है। अब वही उसकी सम्पूर्ण दुनियाँ बन गयी।
सन्दर्भ - पूर्ववत्।
प्रसंग - गजाधर बाबू के कहने पर बहू-बेटे बेटी कोई भी उसकी बात नहीं मानता था और पत्नी भी उनके इस प्रकार के व्यवहार के प्रति उदासीन रहती है वे पत्नी के व्यवहार पर विचार करते हैं।.
व्याख्या - गजाधर बाबू ने घर के किसी भी सदस्य को कुछ न कहने का फैसला कर लिया, उसकी पत्नी कहती है कि आप इन लोगों के बीच में न बोला कीजिए, बच्चे बड़े हो गये हैं, हमारा जो कर्त्तव्य है वह हम कर रहे हैं पत्नी की बात को सुनकर गजाधर को बहुत कष्ट होता है और वे कहते हैं जिस व्यक्ति के रहने से पत्नी सौभाग्यशाली बनती है, लोगों की दृष्टि से वह सम्मान पाती है। उसके लिये वह व्यक्ति बेकार है क्या उसका जीवन भोजन और घर गृहस्थी तक ही सीमित है? अपने पति के लिये कुछ भी नहीं है क्या यही उसकी दुनिया है?
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- प्रश्न- गोदान में उल्लिखित समस्याओं का विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के नामकरण के औचित्य पर विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द का आदर्शोन्मुख यथार्थवाद क्या है? गोदान में उसका किस रूप में निर्वाह हुआ है?
- प्रश्न- 'मेहता प्रेमचन्द के आदर्शों के प्रतिनिधि हैं।' इस कथन की सार्थकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- "गोदान और कृषक जीवन का जो चित्र अंकित है वह आज भी हमारी समाज-व्यवस्था की एक दारुण सच्चाई है।' प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यास-साहित्य का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- उपन्यास के तत्वों की दृष्टि से 'गोदान' की संक्षिप्त समालोचना कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' महाकाव्यात्मक उपन्यास है। कथन की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- गोदान उपन्यास में निहित प्रेमचन्द के उद्देश्य और सन्देश को प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- गोदान की औपन्यासिक विशिष्टताओं पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यासों की संक्षेप में विशेषताएँ बताइये।
- प्रश्न- छायावादोत्तर उपन्यासों की कथावस्तु का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' की भाषा-शैली के विषय में अपने संक्षिप्त विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी के यथार्थवादी उपन्यासों का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' में प्रेमचन्द ने मेहनत और मुनाफे की दुनिया के बीच की गहराती खाई को बड़ी बारीकी से चित्रित किया है। प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- क्या प्रेमचन्द आदर्शवादी उपन्यासकार थे? संक्षिप्त उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- 'गोदान' के माध्यम से ग्रामीण कथा एवं शहरी कथा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- होरी की चरित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- धनिया यथार्थवादी पात्र है या आदर्शवादी? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्रेमचन्द के उपन्यास 'गोदान' के निम्न गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल एक सफल आँचलिक उपन्यास है' इस उक्ति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- उपन्यास में समस्या चित्रण का महत्व बताते हुये 'मैला आँचल' की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- आजादी के फलस्वरूप गाँवों में आये आन्तरिक और परिवेशगत परिवर्तनों का 'मैला आँचल' उपन्यास में सूक्ष्म वर्णन हुआ है, सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' की प्रमुख विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणुजी ने 'मैला आँचल' उपन्यास में किन-किन समस्याओं का अंकन किया है और उनको कहाँ तक सफलता मिली है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "परम्परागत रूप में आँचलिक उपन्यास में कोई नायक नहीं होता।' इस कथन के आधार पर मैला आँचल के नामक का निर्धारण कीजिए।
- प्रश्न- नामकरण की सार्थकता की दृष्टि से 'मैला आँचल' उपन्यास की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' में ग्राम्य जीवन में चित्रित सामाजिक सम्बन्धों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास को आँचलिक उपन्यास की कसौटी पर कसकर सिद्ध कीजिए कि क्या मैला आँचल एक आँचलिक उपन्यास है?
- प्रश्न- मैला आँचल में वर्णित पर्व-त्योहारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल की कथावस्तु संक्षेप में लिखिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास के कथा विकास में प्रयुक्त वर्णनात्मक पद्धति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कथावस्तु के गुणों की दृष्टि से मैला आँचल उपन्यास की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'मैला आँचल' उपन्यास का नायक डॉ. प्रशांत है या मेरीगंज का आँचल? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- मैला आँचल उपन्यास की संवाद योजना पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मैला आँचल)
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी 'उसने कहा था' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कहानी के तत्त्वों के आधार पर 'उसने कहा था' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- प्रेम और त्याग के आदर्श के रूप में 'उसने कहा था' कहानी के नायक लहनासिंह की चारित्रिक विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सूबेदारनी की चारित्रिक विशेषताओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमृतसर के बम्बूकार्ट वालों की बातों और अन्य शहरों के इक्के वालों की बातों में लेखक ने क्या अन्तर बताया है?
- प्रश्न- मरते समय लहनासिंह को कौन सी बात याद आई?
- प्रश्न- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी कला की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'उसने कहा था' नामक कहानी के आधार पर लहना सिंह का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (उसने कहा था)
- प्रश्न- प्रेमचन्द की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कफन कहानी का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- कफन कहानी के उद्देश्य की विश्लेषणात्मक विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 'कफन' कहानी के आधार पर घीसू का चरित्र चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- मुंशी प्रेमचन्द की कहानियाँ आज भी प्रासंगिक हैं, इस उक्ति के प्रकाश में मुंशी जी की कहानियों की समीक्षा कीजिए।
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- प्रश्न- घीसू और माधव की प्रवृत्ति के बारे में लिखिए।
- प्रश्न- घीसू ने जमींदार साहब के घर जाकर क्या कहा?
- प्रश्न- बुधिया के जीवन के मार्मिक पक्ष को उद्घाटित कीजिए।
- प्रश्न- कफन लेने के बजाय घीसू और माधव ने उन पाँच रुपयों का क्या किया?
- प्रश्न- शराब के नशे में चूर घीसू और माधव बुधिया के बैकुण्ठ जाने के बारे में क्या कहते हैं?
- प्रश्न- आलू खाते समय घीसू और माधव की आँखों से आँसू क्यों निकल आये?
- प्रश्न- 'कफन' की बुधिया किसकी पत्नी है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कफन)
- प्रश्न- कहानी कला के तत्वों के आधार पर प्रसाद की कहांनी मधुआ की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी के नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'मधुआ' कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (मधुआ)
- प्रश्न- अमरकांत की कहानी कला एवं विशेषता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अमरकान्त का जीवन परिचय संक्षेप में लिखिये।
- प्रश्न- अमरकान्त जी के कहानी संग्रह तथा उपन्यास एवं बाल साहित्य का नाम बताइये।
- प्रश्न- अमरकान्त का समकालीन हिन्दी कहानी पर क्या प्रभाव पडा?
- प्रश्न- 'अमरकान्त निम्न मध्यमवर्गीय जीवन के चितेरे हैं। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जिन्दगी और जोंक)
- प्रश्न- मन्नू भण्डारी की कहानी कला पर समीक्षात्मक विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला की दृष्टि से मन्नू भण्डारी रचित कहानी 'यही सच है' का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी के उद्देश्य और नामकरण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'यही सच है' कहानी की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कुबरा मौलबी दुलारी को कहाँ ले जाना चाहता था?
- प्रश्न- 'निशीथ' किस कहानी का पात्र है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (यही सच है)
- प्रश्न- कहानी के तत्वों के आधार पर चीफ की दावत कहानी की समीक्षा प्रस्तुत कीजिये।
- प्रश्न- 'चीफ की दावत' कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- चीफ की दावत की केन्द्रीय समस्या क्या है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चीफ की दावत)
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु की कहानी कला की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- रेणु की 'तीसरी कसम' कहानी के विशेष अपने मन्तव्य प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- हीरामन के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हीराबाई का चरित्र-चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम' कहानी की भाषा-शैली पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'तीसरी कसम उर्फ मारे गये गुलफाम कहानी के उद्देश्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु का संक्षिप्त जीवन-परिचय लिखिए।
- प्रश्न- फणीश्वरनाथ रेणु जी के रचनाओं का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- ऊषा प्रियंवदा के कृतित्व का सामान्य परिचय देते हुए कथा-साहित्य में उनके योगदान की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कहानी कला के तत्त्वों के आधार पर ऊषा प्रियंवदा की 'वापसी' कहानी की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (वापसी)
- प्रश्न- कहानीकार ज्ञान रंजन की कहानी कला पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' पारिवारिक समस्या प्रधान कहानी है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कहानी 'पिता' में लेखक वातावरण की सृष्टि कैसे करता है?
- प्रश्न- निम्न में से किन्हीं तीन गद्यांशों की सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (पिता)